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बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

"ज्योतिष " की शोभा रत्न होते हैं !"


"ज्योतिष " की शोभा रत्न होते हैं !"
"{काव्य शोभा करान धर्मान अलन्कारान प्रचक्षते }"=
मित्र बन्धु गण -संसार में सादगी किसी को पसंद नहीं आती है-[सिवा -संतों के ]-घर हो किन्तु अलोकिक हो यह सभी चाहते हैं ,रूप हो- परन्तु मनोहारी हो ?- संसार की  कोई भी वस्तु हो हमलोगों की कामना यही रहती है ,कि दिव्य हो ?-कुछ लोगों को ऊपर वाले की कृपा से अच्छी वस्तु प्राप्त हो भी जाती है ||आईये-संस्कृत साहित्य के रचनाकार भी "साहित्य दर्पण" नामक रंथ की रचना की और उन्होंने भी  भी यही कहा -की अलंकार के विना काव्य की भी शोभा नहीं होती है | आप चाहे कितने भी सुयोग्य है -किन्तु सुन्दरता के विना अधूरे हैं ||
भला इस स्थिति में -"ज्योतिष "की भी शोभा तो रत्न ही होंगें ,प्राचीन काल में राजा महराजा लोग रत्न भव्यता के लिये धारण करते थे ,समय बदला हमलोग भी बदल गये  ,"ज्योतिष "बदली -और रत्न भी "ज्योतिष का अभिन्न अंग बन गए ||-वास्तविकता  क्या है -हम अपने कृत्य कम का फल या तो "ज्योतिष "के द्वारा जानते हैं या भोगते हैं ,प्रत्येक दंड का प्रायश्चित करना पड़ता है ,और उसके लिये-सात्विक कर्म हमें करने चाहिए ,तभी हम सही होंगें या आने वाला समय सही होगा ,परन्तु  हमलोग-उस निदान की उपेक्षा करते हैं ,जो हमें सुन्दरता तो प्रदान करते हैं -किन्तु सत्य का प्रतीक नहीं है-आइये हम उस पथ  पर चलने की कोशिश का  संकल्प लें -हमें सुन्दर कर्म करने चाहिए -और यदि भूल हो भी जाये तो -"तप" करने चाहिए
,आप रत्न जरुर पहनें ,किन्तु  देखा देखी में नहीं -स्थिति के अनुरूप चलें एवं अपने मित्रों को भी सुझाव दें|| हमलोग किसी भी कार्ज़ को करने से पहले विचार नहीं करते हैं ,कुछ अपने शरीर को कष्ट दें एवं तप करें || --भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "निःशुल्क  "ज्योतिष "सेवा रात्रि ७ से९ {एकबार ही सभी मित्रों को मिलेगी }संपर्क सूत्रों द्वारा ---०९८९७७०१६३६+०९३५८८८५६१६

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

"मंगली दोष युक्त विवाह उत्तम नहीं होता है !"

--------यद्यपि  मंगली
दोष के जातक एवं जातिका हों ,तो मंगली दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है|
यदि एक मंगली दोष से युक्त हो और दूसरा मंगली दोष विहीन हो तो दोष लगता है |
मंगली दोष का शाब्दिक अर्थ है -दो से अत्यधिक  शरीर का मिलन [आज के युग
में ये बात खड़ी नहीं उतरती है]क्योंकि जब हमारा रहन सहन आधुनिक है तो
व्यवहार भी आधुनिक भी होगा !-फिर भी जब हम शास्त्र सम्बंधित बातें करते हैं
-तो बतायेंगें जरुर | मंगली दोष युक्त होने पर विवाह देर से होता है और
दाम्पत्य जीवन में हमें बहुत ही कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है | [१]-कुंडली
के द्वादश भाव होते हैं इनमें ,१,४,७,८,१२ इन भावों में यदि मंगल ग्रह
विराजमान हो तो मंगली दोष होता है,किन्तु -यदि १,४,७,८,१२ इन भावों में शनि
ग्रह विराजमान हो तो स्वतः ही दोष समाप्त हो जाता है | कभी -कभी प्रश्न
उठता है -यदि कुंडली के १२ भाव होते हैं -इन्हीं भावों से संसार की गणना
होती है -तो क्या ५ भावों का अर्थ है ४५ प्रतिशत लोगों  के दाम्पत्य सुख
कठिनाइयों से भरे होंगें !-शास्त्रकारों का मानना है -कि सच तो यही है ,या
तो इस योग से पीड़ित लोग ,दाम्पत्य जीवनको झेलते हैं ,या अपने भाग्य के
अनुसार स्वीकार कर लेते हैं || मेरे विचार से -आत्मा से जो लोग प्रेम करते
हैं उनके लिये रंग रूप से अत्यधिक व्यवहार कुशलता को सही मानते हैं उनकी
गिनती ५५ प्रतिशत होती है और जो रंग रूप को दाम्पत्य जीवन में सही मानते
हैं उनकी संख्या ४५ पर्तिशत होती है [ये धर्म संबधित बाते हैं ,पुराकाल
की]
 भाव -हमारी
संस्कृति और संस्कार तभी सार्थक होंगें जब दाम्पत्य सुख उत्तम होगा ,तभी
हमारी संताने इस संस्कृति और संस्कार से जुडेंगें ||
 भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "मेरठ [उ प ]
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से ९ आपकी सेवा में तत्पर रहती है ||