संतान सुख "शुक्र +मंगल से ही मिलता है ?"
------दाम्पत्य जीवन में अनन्त की बाधाएँ आती हैं ---सभी सुख हैं किन्तु संतान सुख नहीं है तो जीवन नीरस सा प्रतीत होने लगता है इसके लिए प्रत्येक जातकों की कुण्डलियों मिलान करते समय इस पर भी विचार अवश्य करना चाहिए ---"पापहि ग्रहयुत लगन्पति ,परै लग्न मह आय ।
वीर्यहीन नर होय तब ,अधिक ब्याधि रुज ताय । ।
---अर्थात ----मंगल स्त्रियों में रजः स्राव का कारक होता है और शुक्र पुरुषों में वीर्य सशक्त शुक्राणुओं का कारण माना जाता है ---इन दोनों का कुंडलियों में सही सम्बन्ध नहीं होने से दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है । चाहे स्थान सम्बन्ध मंगल +शुक्र एक साथ हो ,तात्कालिक मित्र बनकर बैठे हों -या कारक भाव में हों तो जीवन को संतति और सुख प्रदान करते हैं ।
नोट ----हमारे महर्षियों ने जो जन्म कुंडली का बिधान बनाये हैं --जिनको हमलोग आजतक अमल करते आये हैं --उसकी नीव बहुत ही मजबूत है -----कुंडली मिलान करते समय केवल गुणों को ही नहीं देखना चाहिए -बल्कि ग्रहों की स्थिति पर विशेष विचार करना चाहिए ।
ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत
------दाम्पत्य जीवन में अनन्त की बाधाएँ आती हैं ---सभी सुख हैं किन्तु संतान सुख नहीं है तो जीवन नीरस सा प्रतीत होने लगता है इसके लिए प्रत्येक जातकों की कुण्डलियों मिलान करते समय इस पर भी विचार अवश्य करना चाहिए ---"पापहि ग्रहयुत लगन्पति ,परै लग्न मह आय ।
वीर्यहीन नर होय तब ,अधिक ब्याधि रुज ताय । ।
---अर्थात ----मंगल स्त्रियों में रजः स्राव का कारक होता है और शुक्र पुरुषों में वीर्य सशक्त शुक्राणुओं का कारण माना जाता है ---इन दोनों का कुंडलियों में सही सम्बन्ध नहीं होने से दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है । चाहे स्थान सम्बन्ध मंगल +शुक्र एक साथ हो ,तात्कालिक मित्र बनकर बैठे हों -या कारक भाव में हों तो जीवन को संतति और सुख प्रदान करते हैं ।
नोट ----हमारे महर्षियों ने जो जन्म कुंडली का बिधान बनाये हैं --जिनको हमलोग आजतक अमल करते आये हैं --उसकी नीव बहुत ही मजबूत है -----कुंडली मिलान करते समय केवल गुणों को ही नहीं देखना चाहिए -बल्कि ग्रहों की स्थिति पर विशेष विचार करना चाहिए ।
ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत