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सोमवार, 23 सितंबर 2013

संतान सुख "शुक्र +मंगल से ही मिलता है ?"

संतान सुख "शुक्र +मंगल से ही मिलता है ?"
------दाम्पत्य जीवन में अनन्त की बाधाएँ आती हैं ---सभी सुख हैं किन्तु संतान सुख नहीं है तो जीवन नीरस सा प्रतीत होने लगता है इसके लिए प्रत्येक जातकों की कुण्डलियों मिलान करते समय इस पर भी विचार अवश्य करना चाहिए ---"पापहि ग्रहयुत लगन्पति ,परै लग्न मह आय ।
                                      वीर्यहीन नर होय तब ,अधिक ब्याधि रुज ताय । ।
---अर्थात ----मंगल स्त्रियों में रजः स्राव का कारक होता है और शुक्र पुरुषों में वीर्य सशक्त शुक्राणुओं का कारण माना जाता है ---इन दोनों का कुंडलियों में सही सम्बन्ध नहीं होने से दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है । चाहे स्थान सम्बन्ध मंगल +शुक्र एक साथ हो ,तात्कालिक मित्र बनकर बैठे हों -या कारक भाव में हों तो जीवन को संतति और सुख प्रदान करते हैं ।
     नोट ----हमारे महर्षियों ने जो जन्म कुंडली का बिधान बनाये हैं --जिनको हमलोग आजतक अमल करते आये हैं --उसकी नीव बहुत ही मजबूत है -----कुंडली मिलान करते समय केवल गुणों को ही नहीं देखना चाहिए -बल्कि ग्रहों की स्थिति पर विशेष विचार करना चाहिए ।
       ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत

रविवार, 22 सितंबर 2013

"कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें ?"

"कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें ?"
-----वर -कन्या के कुण्डली मिलान में आयु का विचार भी बहुत ही जरुरी होता है ,क्योंकि इसके बिना संसार में सब कुछ निरर्थक है । महर्षि जैमिनी के मत के अनुसार आयुर्दाय त्रिय सूत्र लगभग सही से ही बैठते हैं । जैसे -दीर्घायु ,मध्यायु ,अल्पायु जानने के लिए ज्योतिष के कई ग्रंथों में कई बिधियाँ लिखी हैं साथ ही आयु सारणियाँ भी छपी हैं ।
             अस्तु जन्मकुण्डली में छटे ,आठवें और बारहवें भाव का नामकरण ज्योतिषाचार्यों ने त्रिकसंज्ञक माना  है---जिसका अर्थ होता है तिर्यकगति अर्थात पतन से लिया जाता है । संसार में तीन तरह के संताप होते हैं --------"दैहिक दैविक भौतिक तापा ,राम राज मह काहु न व्यापा "------भाव ---दैहिक परेशानी {शारीरिक कष्ट }कुंडली के छटे भाव से देखे जाते हैं । जिन लोगों का लग्नेश -छटे -आठवें -बारहवें भाव में पाप ग्रहों के साथ बैठा हो --उन्हें शारीरिक कष्ट अवश्य हते हैं । अगर छ्टे -आठवें -बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो साथ ही पाप ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तब तो अत्यधिक कष्टों से सामना जातक को करना पड़ता हैं ।
       -------रिपु मृत्यु द्वादस गेह मह ,पापयुक्त लग्नेस । जन्म समय जाने परै ,ताको अंग कलेस । ।
अर्थात ---अनुभव से देखा गया है कि लग्नेश अष्टम में हो और अष्टमेश लग्न में बैठ जाय तब उम्र के साथ -साथ अपार दुःख का कारण भी बनता है ।
   -----पाप युक्त तनु भवन मंह ,रिपु मृत्युप के ईस । जथा जोग जेक परै ,तन दुःख बिस्वा बीस । ।
भाव ---पाप ग्रह के साथ अर्थात -शनि ,राहु ,केतु ,मंगल या सूर्य के साथ लग्नेश लग्न में बैठा हो तो वह अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में परेशानियाँ पैदा करता है ।
     अभिप्राय ---कुंडली मिलान में आयु का निर्णय अर्थात दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा या नहीं इस पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए ।
निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल विवाहित व्यक्ति ही मित्र बनकर प्राप्त कर सकते हैं एकबार अपनी केवल फ़ोन से समय रात्रि -7 -30 से 9 -30 तक ---किन्तु जानकारी प्राप्त करते समय चैट पर राम -राम लिखना अनिवार्य है । अगर आपकी समझ में न आये कोई  बात तो फ़ोन ही जानकारी प्राप्त करें --साथ ही आपकी समस्त जानकारी प्रोफाइल में सही अवश्य होनी चाहिए -अपना चित्र के साथ -साथ । फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें =http://jyotishsadan.blogspot.in/2013/08/blog-post_2.html?spref=fb ===खाता संख्या -20005973259 स्टेट बैंक मेरठ -आई, एफ, सी- कोड-एस बी आई एन 0002321
हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ उत्तर प्रदेश पिन -250002 भारत-संपर्क सूत्र कार्यालय -09897701636 +09358885616

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं ?"

विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं ?"
---ज्योतिष और ज्योतिषियों के लिए - चाहे पुरुष हो या महिला सब एक सामान होने चाहिए किन्तु लोग विषकन्या योग की चर्चा तो करते हैं किन्तु विषवर की चर्चा नहीं करते हैं क्यों ----
    भद्रा सर्पानल वरुणभे भानु मन्दारवारे । यस्या जन्म प्रभवति तदा सा विशाख्या कुमारी । । {भावकुतूहल }
भौजंगे कृतिकायाम शत भिषजितथा सूर्य मंदवारे । भद्रा संज्ञे तिथौ या किल जनन मियात्सा कुमारी विशाख्या । । {जातकालंकार}---------अर्थात ----2 /7 /12 ,कृतिका , आश्लेषा , विशाखा ,शतभिषा नक्षत्र और रवि ,मंगल तथा शनिवार का समागम होने से तो विषाख्य योग बनता है । ग्रन्थ -भावकुतूहल -में लिखित पद्य में केवल भद्रा शब्द का ही उल्लेख हुआ है न कि तिथि का ---इससे यह समझना चाहिए कि भद्रा {विष्टि }निहितकाल में -कृतिका , आश्लेषा ,विशाखा ,शतभिषा नक्षत और रवि ,मंगलवार या शनिवार आ पड़े तब किसी जातिका का जन्म हो तो उसे विषकन्या कहा जाता है । ----तो इस कुयोग में यदि किसी लड़के का जन्म हो तो उसे भी विष वर  कहा जाना चाहिए ।
    भाव ---ज्योतिष की रचना स्त्री -पुरुष ही नहीं समस्त के लिए सामान रूपेण है ---अतः इस विषय में हमलोगों को पक्ष पात रहित विचार अवश्य ही करना चाहिए । लग्न एवं चंद्रमा से सातवें घर में शुभ ग्रह बैठें हों या लग्नेश सातवें घर में हो तो वैधव्य योग समाप्त होकर कन्या सुभगा अर्थात भाग्यवान होती है ।
 {"निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार प्राप्त करने के लिए पधारें -आपका अभिनन्दन ,स्वागत है ज्योतिष सेवा सदन में -}---किन्तु पहले दोस्त बनें और फ़ोन से जानकारी प्राप्त करें समय -7- 30 से 9 -30 तक प्रत्येक रात्रि -फ़ोन नंबर -09897701636 +093588885616 ---अगर आपका चित्र नहीं होगा ,आपकी सही जानकारी प्रोफाइल में नहीं होगी तो आप दोस्त नहीं बन पायेंगें ।
  ---आपका -ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत प्रबंधक पंडित के एल झा शास्त्री फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें =http://jyotishsadan.blogspot.in/2013/08/blog-post_2.html?spref=fb

        

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

"गुरु एवं मंगल" मंगली दोष समाप्त कर राज योग देते है?"

"गुरु एवं मंगल" मंगली दोष समाप्त कर  राज योग देते है?"
--गुरु + मंगल एक साथ हों जन्म कुंडली में तो राजयोग बनता है अधिकांश विद्वान इस बात को मानते हैं । और साथ ही "भौम दोषों न विद्यते "अर्थात मंगली दोष समाप्त हो जाता है ।
      ---अस्तु ----यह बात हमारी समझ में नहीं आती है --क्योंकि फलिताचार्य भली भांति इस बात बात को जानते हैं ,कि द्वितीय भाव {कुंडली का दूसरा घर }के कारक "गुरु "की क्रूर या पापग्रह से युति से दाम्पत्य जीवन अर्थात सुखोपभोग के लिए हितकर नहीं होती है ।
      फलदीपकार लिखते हैं=पुर्यध्यक्षः सजीवे {भोमे }भवति नरपतिः प्राप्तवित्तो द्विजो वा "----अर्थात चन्द्र + मंगल की युति स्थाई संपदा प्रदान करने वाली तो होती है ,किन्तु मंगली दोष को समाप्त करती हो ऐसा आभास नहीं होता है ।    "शशि -मंगल संयोगे यस्य जन्मनि विद्यते । विमुञ्चन्ति न तं लक्ष्मिः लज्जां कुल वधूरिव । । भाव -इस योग में जन्म लेने वाली लज्जायुक्त कुलवधू का लक्ष्मी कभी साथ नहीं छोडती है ।
       अतः कुंडली में मंगली दोष का परिक्षण ठीक से होना चाहिए साथ ही निदान भी अन्यथा सुख दुःख में बदल जाता है । "निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार प्राप्त करने के लिए पधारें -आपका अभिनन्दन ,स्वागत है ज्योतिष सेवा सदन में ----किन्तु पहले दोस्त बनें और फ़ोन से जानकारी प्राप्त करें समय -7- 30 से 9 -30 तक प्रत्येक रात्रि -फ़ोन नंबर -09897701636 +093588885616 ---अगर आपका चित्र नहीं होगा ,आपकी सही जानकारी प्रोफाइल में नहीं होगी तो आप दोस्त नहीं बन पायेंगें ।
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मंगलवार, 17 सितंबर 2013

हमारे नक्षत्रों के कौन- कौन से हैं "पेड़ "?{ज्योतिष -विशेष }



  • हमारे नक्षत्रों के कौन- कौन से हैं "पेड़ "?{ज्योतिष -विशेष }
         --ग्रहों की शांति हेतु पूजा -पाठ ,यग्य हवं में विशेष प्रजाति के पल्लव {टहनी } पुष्प ,फूल ,फल ,काष्ट{समिधा }की आवश्यकता पड़ती है ,जो कि नवग्रह एवं नक्षत्रों से सम्बंधित पौधे ही दे सकते हैं ।पुराणों के अनुसार जिस नक्षत्र में गृह विद्यमान हो उस समय उस नक्षत्र सम्बन्धी पौधे का यत्नपूर्वक संरक्षण तथा पूजन से ग्रह की शांति होती है तथा जातक को मनोवांछित फल मिलता है ।।.
         -----क्यों न हमलोग --अपनी सुख समृधि के लिए - अपने -अपने नक्षत्रों के अनुसार पेड़ ,बगीचा ,बाटिका लगायें?
{1 }-अश्विनी ------कुचिला {2}-भरणी---------आंवला {3 }-कृतिका ----गूलर {4 }-रोहिणी ---जामुन{5 }-मृगशिरा .{7 }-पुनर्वसु ------बांस---खैर{6}}-आर्द्रा--------शीशम.{8 }-पुष्य --------पीपल{9 }-आश्लेषा ---नागकेसर {10 }-मघा-----बरगद{11 }-पुर्वा फाल्गुनी-----ढ़ाक {12 }-उत्तरी फाल्गुनी ----पाकड़  {13 }-हस्त ---रीठा{14 }-चित्रा------वेळ{15 }-स्वाती ------अर्जुन. {16 }-विशाखा ---कटाई. {17 }-अनुराधा ---मौलश्री.  {18 }-ज्येष्ठा-----चीड़. [19 }-मूल ----साल. {20 }-पूर्वाषाढा---जलवेतस. {21 }-उत्तराषाढा ----कटहल {22 }-अभिजित{ xxx}{23 }-श्रवण ---मदार.{24 }-शतभिषा ---कदम्ब. {25 }-पूर्वा भाद्रपद ----आम.{26 }-उत्तरा भाद्रपद ----नीम. {27 }--रेवती -----महुआ.------नोट --उक्त नक्षत्रों के पौधे हैं जो आप --ग्रह जनित दोषों के निवारणार्थ सरलता से पौधे {रोप }लगा सकते हैं । ग्रह ,नक्षत्रों के पौधों का उल्लेख ,पौराणिक ज्योतिष ,आयुर्वेदिक ,तांत्रिक व् एनी ग्रंथों में मिलता है --इनमें से प्रमुख ग्रन्थ हैं --{१}-नारद पुराण{२}-ज्योतिष ग्रन्थ हैं --नारद संहिता {३}-आयुवेदिक ग्रन्थ --राज निघंट वृहत धू श्रुत नारायणी संहिता {४}-तांत्रिक ग्रन्थ -शारदा तिलक ,मन्त्रमहार्णव ,श्री विद्यार्नव तंत्र आदि {५} अन्य ग्रंथ---आनादाश्रम प्रकाशन ,वनस्पति ---अध्यात्म ,नक्षत्र वृक्ष आदि ।।.

  ---         ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत} ---  निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि 8 से 9.30 कोई भी मित्र बनकर प्राप्त करें = संपर्कसूत्र-9897701636+9358885616
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शनिवार, 14 सितंबर 2013

आप सभी मित्रों का स्नेह और प्रेम का हम आभारी हैं ।

आप सभी मित्रों का स्नेह और प्रेम का हम आभारी हैं ।
बड़े मित्रों को प्रणाम ,छोटे मित्रों को आशीर्वाद तथा समकक्ष मित्रों को धन्यवाद ।
    ज्योतिष सेवा सदन सन 2010 से ज्योतिष सेवा में निरंतर तत्पर रहता हैं । हमें आप सभी देश -विदेशों में रह रहे मित्रों ने जो प्रेम दिया और स्नेह के साथ नेट {फेसबुक }पर जोड़ा, जिसकी वजह से हम अपनी आजीविका भी चला लेते हैं और आप मित्रों के प्रेम के पात्र भी बने रहते हैं । विना धन के आपतक कैसे पहुंचें यही सोच के साथ शुरू की थी निःशुल्क ज्योतिष सेवा सन 2010  में । आज 2013 तक करीब लाखों लोगों से हम मिले और  सेवा देने की कोशिश की साथ ही आप मित्रों ने जो धन दिया वो हमारे परिवार के लिए बहुत है ।
        मै भले ही धन से कमजोर था  किन्तु आप मित्रों का स्नेह ने मुझको आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और हम आगे बढ़ते चले गए । जब हम आपको सेवा देते हैं तो हम भी अपने आपको किसी चैनल से कम नहीं समझते हैं --ये सब आप मित्रों की वजह से हुआ और हो रहा है ।
     आशा है आप सभी मित्र हमारी कमी को न देखकर आपना प्रेम और स्नेह यूँ ही प्रदान करते रहेंगें ।
आपका -ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
   कृष्णपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ -उत्तर प्रदेश -भारत पिन -250002
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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

उम्मीद करता हूँ दोस्ती करने से पहले नियमावली अवश्य पढेंगें -

निःशुल्क ज्योतिष सेवा मिल चुकी है, दुबारा ज्योतिष सेवा चाहते हैं या दोस्ती- ज्योतिष सदन से नहीं हो पा रही है तो केवल 100 रूपये एयरटेल मणि नंबर-9897701636 में रिचार्य कर तत्काल सेवा प्राप्त कर सकते हैं ।
    ध्यान दें -आपकी ज्योतिष सेवा सदन से दोस्ती तब नहीं होती है -जब आपका प्रोफाइल आपको सही साबित नहीं करता है जैसे -आपका चित्र ,आपका सम्पूर्ण विवरण एवं आपकी सोच हमसे नहीं मिलती है ।
    1 -निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार मित्र बनकर ही प्राप्त कर सकते हैं = समय -8 से 9 30 तक{ केवल रात्रि }
    2 -बिना दोस्ती के केवल 100 रूपये में ही ज्योतिष जानकारी किसी को भी मिलेगी={कभी भी दिन में }
     3 -आजीवन ज्योतिष जानकारी 1100 सौ में प्राप्त करते रह सकते हैं = {कभी भी दिन में }
उम्मीद करता हूँ दोस्ती करने से पहले नियमावली अवश्य पढेंगें -
        आपका -ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक पण्डित के ० एल ० झा शास्त्री मेरठ -भारत
        पता -किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ -250002
संपर्क कार्यालय मेरठ- अगर आपकी समझ में कोई बात नहीं आई है तो कार्यालय मेरठ से हेल्प लाइन से जानकारी इस नंबर पर प्राप्त करें -09897701636 +09358885616
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