"कालसर्पदोष" का अनुभव और निदान "
"ज्योतिष" के दो रूप हैं -गणित एवं फलित | -गणित-अर्थात गणना,फलित अर्थात -फलादेश | आज कोई भी गणना भी कर लेता है और फलित भी कर देता है | वास्तविकता क्या है = हमें कुंडली का निर्माण और फलादेश के लिये उपाधि प्राप्त करनी पड़ती है ,और उस उपाधि का नाम है -"ज्योतिषाचार्य " यहाँ तक पहुँचने ले लिये हमें ,=प्रथमा,मध्यमा ,उत्तर मध्यमा या उपशास्त्री ,और अंत में "आचर्य" की उपाधि मिलती है| यहाँ तक पहुँचने के लिये हमें कई ग्रंथों के अध्ययन करने पड़ते हैं-जैसे -शिघबोध ,मुहूर्त चिंतामणि ,ताजिक नीलकंठी ,व्रेहतपराशर इत्यादि |
तब हम इस योग्य होते हैं ,कि आपका भविष्य बता सकें | "जन्मकुंडली" में जब सभी राहू एवं केतु के मध्य सभी ग्रह विराजमान होते हैं ,तो "कलसर्पदोष" कहते हैं यह दोष कई कारणों से बनते हैं | कभी-कभी "पितृदोष के कारण भी बन जाता है ,परन्तु यह योग तो होता है ,किन्तु समाधान भी कई प्रकार से करने पड़ते हैं | इस योग का सबसे बड़ा जो प्रतिफल है वो है ,मन और काम के क्षेत्रों में जातक को भयभीत करना | इस योग से दिक्कत भी होती है ,किन्तु यदि सही समाधान हो तो जरुरी नहीं कि दिक्कत दूर नहीं हो सकती है | यह विशेष दिक्कत तब देते हैं जब -राहू या केतु की महादशा या अनार्दशा चल रही हो | प्रायः -कुंडली में एक राशि में यह ग्रह डेड़ साल तक निवास करते हैं | आगे हम इनके उपाय का निदान बतायेंगें |
ज्योतिष सेवा सदन -{मेरठ- भारत }प्रबंधक पंडित के० एल० झा शास्त्री हेल्प लाइन मेरठ -09897701636 +09358885616 -----किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ --
{कोई भी विवाहित व्यक्ति अपनी कुण्डली की जानकारी एकबार निःशुल्क रात्रि -8 से 9 ,30 में फ़ोन से प्राप्त मित्र बनकर कर सकते हैं }-{1 }---दोस्ती के लिए इस लिंक पर जायें - -!https://www.facebook.com/ kanhaiyalal.jhashastri
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