"काल सर्प दोष के लक्षण और निदान !"
"ज्योतिष गणित की कुंडली में जब काल सर्प दोष से युक्त जातक होता है -तो जिन भावों में राहू और केतु विराजमान होते हैं प्रायः पड़ेशानी भी उसी प्रकार की होती है ||
1 -लग्न अर्थात प्रथमभाव,धन अर्थात द्वितीय भाव -में यदि राहू और केतु हो ,एवं काल सर्प दोष भी हो तो -जातक को -मन,धन,पतनी ,एवं स्वास्थ तथा व्यवहार के क्षेत्रों में पड़ेशानी रहती है ||निदान -पितृगायत्री के जाप एवं काल सर्प दोष के समाधान के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
2 -पराक्रम अर्थात तृतीय भाव ,माता अर्थात चतुर्थ भाव -में यदि काल सर्पदोष हो तो -भाई बंधुओं ,माता ,सास,संपत्ति ,वाहन इत्यादि से कष्ट होता है ||-निदान -पितृ गायत्री के साथ -नंदी श्राध ,एवं काल सर्प दोष के निदान के उपरांत ही शांति मिलती है ||
3 -संतान -अर्थात पंचम भाव,भार्या अर्थत सप्तम भाव ,आयू अर्थात अष्टम भाव-में यदि कालसर्प दोष हो-तो शिक्षा में बाधा ,संतान ,उन्नति ,दाम्पत्य सुख ,स्वास्थ की पीड़ा रहती है -निदान -महामृत्यंजय जाप ,के साथ -साथ कालसर्प दोष का उपचार करना चाहिए ,तभी इन सभी बातों से राहत मिलती है ||
4 -रोग अर्थात षष्ठ भाव , भाग्य अर्थात नवम भाव ,द्वादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -शत्रुता ,रोग ,भाग्य ,एवं खर्च तथा प्रगति में सदा बाधा रहती है ||निदान -5 लाख ब्रह्म गायत्री के जाप,नंदी श्राध ,तर्पण ,मार्जन के साथ -साथ कालसर्प दोष का निदान करने से ही शांति मिलती है ||
5 कर्मक्षेत्र -अर्थात -दशम भाव ,आय अर्थात एकादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -पिता ,कर्मक्षेत्र ,आमदनी ,के क्षेत्र में दिक्कत होती है निदान -राहू के 72 हजार जाप केतु के 28 हजार जाप तुला दान के साथ -साथ कालसर्प दोष का उपाय करने के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
-----भाव -मित्र बन्धु -कर्मकांड वैदिक प्रक्रिया के अनकूल कराने से ही निदान होता है परन्तु -आज कल हम लोग तोल मोल का भाव करते हैं-सरल और छोटा उपाय करने के पक्ष में रहते हैं जो हमें सही फल प्रदान नहीं करते हैं,यदि हम सपरिवार मिलकर कोई यग्य करें ,तो भार भी कम और फल भी सम्पूर्ण मिलेगा ||
ध्यान दें --निःशुल्क ज्योतिष जानकारी कोई भी विवाहित व्यक्ति एकबार रात्रि -8 से -9 -30 में फ़ोन से मित्र बनकर प्राप्त कर सकते हैं किन्तु जानकारी प्राप्त करते समय पहले चैट पर राम -राम लिखना होगा ।
{1 }- दोस्ती करने के लिए इस लिंक पर जायें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri
{2 }-पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें =www.facebook.com/pamditjha
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अगर आपकी समझ में कोई बात नहीं आई है तो कार्यालय मेरठ से हेल्प लाइन से जानकारी इस नंबर पर प्राप्त करें -09897701636 +09358885616 ----आपका -ज्योतिष सेवा सदन प्रबन्धक पंडित के ० एल० झा शास्त्री कृष्णपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ -भारत ।
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1 -लग्न अर्थात प्रथमभाव,धन अर्थात द्वितीय भाव -में यदि राहू और केतु हो ,एवं काल सर्प दोष भी हो तो -जातक को -मन,धन,पतनी ,एवं स्वास्थ तथा व्यवहार के क्षेत्रों में पड़ेशानी रहती है ||निदान -पितृगायत्री के जाप एवं काल सर्प दोष के समाधान के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
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4 -रोग अर्थात षष्ठ भाव , भाग्य अर्थात नवम भाव ,द्वादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -शत्रुता ,रोग ,भाग्य ,एवं खर्च तथा प्रगति में सदा बाधा रहती है ||निदान -5 लाख ब्रह्म गायत्री के जाप,नंदी श्राध ,तर्पण ,मार्जन के साथ -साथ कालसर्प दोष का निदान करने से ही शांति मिलती है ||
5 कर्मक्षेत्र -अर्थात -दशम भाव ,आय अर्थात एकादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -पिता ,कर्मक्षेत्र ,आमदनी ,के क्षेत्र में दिक्कत होती है निदान -राहू के 72 हजार जाप केतु के 28 हजार जाप तुला दान के साथ -साथ कालसर्प दोष का उपाय करने के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
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