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बुधवार, 7 अगस्त 2013

"भवन"- की पूर्व दिशा का प्रभाव जानते हैं ?"

"भवन"- की पूर्व दिशा का प्रभाव जानते हैं ?"
---"वास्तु शास्त्र" --महल ,कोठी ,भवन - के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र का सदियों से विचार किया जाता है दश दिशाएँ होतीं हैं -सभी दिशाओं के अलग -अलग प्रभाव होते हैं अगर दिशा के अनुकूल निर्माण करते हैं तो सुख भी उसी अनुकूल रहने वालों को प्राप्त होता है --जहाँ -जहाँ दिशाओं में दोष होगा रहने वाले लोग उन -उन सुखों से वंचित रह जाते हैं !
      -----अस्तु ----पूर्वदिशा --के स्वामी देवराज इन्द्र हैं तथा स्वामी ग्रह सौर मण्डल के राजा "सूर्यदेव हैं 1 इस दिशा से प्रभात सूर्य किरणों द्वारा --जीवनीशक्ति ,उत्साह ,निरोगता ,यशश्री,कीर्ति ,राज्यलाभ तथा उत्पादन क्षमता इस दिशा से ही प्राप्त होती है1पश्चिम दिशा की तुलना में यहाँ हल्का नीचा निर्माण ,ईशान कोण से छूता हुआ उत्तर व पूर्व से खुला स्थल साथ ही इस दिशा का दरवाजा -खिड़की जली द्वारा अधिक से अधिक खुला रखना शुभ होता है !
अगर निर्माण हो चुका है तो प्राचीन सिद्धांत के अनुसार "वास्तुपीठ "की पूजा के द्वारा चाहे कितना भी दोष क्यों न हो जाप +पूजन से दोष को दूर कर सम्पन्नता मिल जाती है !
      प्रेषकः ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }
{1 }-सलाह शुल्क केवल 100 रूपये -----आजीवन सलाह शुल्क -1100 सौ रूपये -------सहायता सूत्र
-09358885616

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