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सोमवार, 23 सितंबर 2013

संतान सुख "शुक्र +मंगल से ही मिलता है ?"

संतान सुख "शुक्र +मंगल से ही मिलता है ?"
------दाम्पत्य जीवन में अनन्त की बाधाएँ आती हैं ---सभी सुख हैं किन्तु संतान सुख नहीं है तो जीवन नीरस सा प्रतीत होने लगता है इसके लिए प्रत्येक जातकों की कुण्डलियों मिलान करते समय इस पर भी विचार अवश्य करना चाहिए ---"पापहि ग्रहयुत लगन्पति ,परै लग्न मह आय ।
                                      वीर्यहीन नर होय तब ,अधिक ब्याधि रुज ताय । ।
---अर्थात ----मंगल स्त्रियों में रजः स्राव का कारक होता है और शुक्र पुरुषों में वीर्य सशक्त शुक्राणुओं का कारण माना जाता है ---इन दोनों का कुंडलियों में सही सम्बन्ध नहीं होने से दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है । चाहे स्थान सम्बन्ध मंगल +शुक्र एक साथ हो ,तात्कालिक मित्र बनकर बैठे हों -या कारक भाव में हों तो जीवन को संतति और सुख प्रदान करते हैं ।
     नोट ----हमारे महर्षियों ने जो जन्म कुंडली का बिधान बनाये हैं --जिनको हमलोग आजतक अमल करते आये हैं --उसकी नीव बहुत ही मजबूत है -----कुंडली मिलान करते समय केवल गुणों को ही नहीं देखना चाहिए -बल्कि ग्रहों की स्थिति पर विशेष विचार करना चाहिए ।
       ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत

रविवार, 22 सितंबर 2013

"कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें ?"

"कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें ?"
-----वर -कन्या के कुण्डली मिलान में आयु का विचार भी बहुत ही जरुरी होता है ,क्योंकि इसके बिना संसार में सब कुछ निरर्थक है । महर्षि जैमिनी के मत के अनुसार आयुर्दाय त्रिय सूत्र लगभग सही से ही बैठते हैं । जैसे -दीर्घायु ,मध्यायु ,अल्पायु जानने के लिए ज्योतिष के कई ग्रंथों में कई बिधियाँ लिखी हैं साथ ही आयु सारणियाँ भी छपी हैं ।
             अस्तु जन्मकुण्डली में छटे ,आठवें और बारहवें भाव का नामकरण ज्योतिषाचार्यों ने त्रिकसंज्ञक माना  है---जिसका अर्थ होता है तिर्यकगति अर्थात पतन से लिया जाता है । संसार में तीन तरह के संताप होते हैं --------"दैहिक दैविक भौतिक तापा ,राम राज मह काहु न व्यापा "------भाव ---दैहिक परेशानी {शारीरिक कष्ट }कुंडली के छटे भाव से देखे जाते हैं । जिन लोगों का लग्नेश -छटे -आठवें -बारहवें भाव में पाप ग्रहों के साथ बैठा हो --उन्हें शारीरिक कष्ट अवश्य हते हैं । अगर छ्टे -आठवें -बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो साथ ही पाप ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तब तो अत्यधिक कष्टों से सामना जातक को करना पड़ता हैं ।
       -------रिपु मृत्यु द्वादस गेह मह ,पापयुक्त लग्नेस । जन्म समय जाने परै ,ताको अंग कलेस । ।
अर्थात ---अनुभव से देखा गया है कि लग्नेश अष्टम में हो और अष्टमेश लग्न में बैठ जाय तब उम्र के साथ -साथ अपार दुःख का कारण भी बनता है ।
   -----पाप युक्त तनु भवन मंह ,रिपु मृत्युप के ईस । जथा जोग जेक परै ,तन दुःख बिस्वा बीस । ।
भाव ---पाप ग्रह के साथ अर्थात -शनि ,राहु ,केतु ,मंगल या सूर्य के साथ लग्नेश लग्न में बैठा हो तो वह अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में परेशानियाँ पैदा करता है ।
     अभिप्राय ---कुंडली मिलान में आयु का निर्णय अर्थात दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा या नहीं इस पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए ।
निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल विवाहित व्यक्ति ही मित्र बनकर प्राप्त कर सकते हैं एकबार अपनी केवल फ़ोन से समय रात्रि -7 -30 से 9 -30 तक ---किन्तु जानकारी प्राप्त करते समय चैट पर राम -राम लिखना अनिवार्य है । अगर आपकी समझ में न आये कोई  बात तो फ़ोन ही जानकारी प्राप्त करें --साथ ही आपकी समस्त जानकारी प्रोफाइल में सही अवश्य होनी चाहिए -अपना चित्र के साथ -साथ । फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें =http://jyotishsadan.blogspot.in/2013/08/blog-post_2.html?spref=fb ===खाता संख्या -20005973259 स्टेट बैंक मेरठ -आई, एफ, सी- कोड-एस बी आई एन 0002321
हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ उत्तर प्रदेश पिन -250002 भारत-संपर्क सूत्र कार्यालय -09897701636 +09358885616

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं ?"

विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं ?"
---ज्योतिष और ज्योतिषियों के लिए - चाहे पुरुष हो या महिला सब एक सामान होने चाहिए किन्तु लोग विषकन्या योग की चर्चा तो करते हैं किन्तु विषवर की चर्चा नहीं करते हैं क्यों ----
    भद्रा सर्पानल वरुणभे भानु मन्दारवारे । यस्या जन्म प्रभवति तदा सा विशाख्या कुमारी । । {भावकुतूहल }
भौजंगे कृतिकायाम शत भिषजितथा सूर्य मंदवारे । भद्रा संज्ञे तिथौ या किल जनन मियात्सा कुमारी विशाख्या । । {जातकालंकार}---------अर्थात ----2 /7 /12 ,कृतिका , आश्लेषा , विशाखा ,शतभिषा नक्षत्र और रवि ,मंगल तथा शनिवार का समागम होने से तो विषाख्य योग बनता है । ग्रन्थ -भावकुतूहल -में लिखित पद्य में केवल भद्रा शब्द का ही उल्लेख हुआ है न कि तिथि का ---इससे यह समझना चाहिए कि भद्रा {विष्टि }निहितकाल में -कृतिका , आश्लेषा ,विशाखा ,शतभिषा नक्षत और रवि ,मंगलवार या शनिवार आ पड़े तब किसी जातिका का जन्म हो तो उसे विषकन्या कहा जाता है । ----तो इस कुयोग में यदि किसी लड़के का जन्म हो तो उसे भी विष वर  कहा जाना चाहिए ।
    भाव ---ज्योतिष की रचना स्त्री -पुरुष ही नहीं समस्त के लिए सामान रूपेण है ---अतः इस विषय में हमलोगों को पक्ष पात रहित विचार अवश्य ही करना चाहिए । लग्न एवं चंद्रमा से सातवें घर में शुभ ग्रह बैठें हों या लग्नेश सातवें घर में हो तो वैधव्य योग समाप्त होकर कन्या सुभगा अर्थात भाग्यवान होती है ।
 {"निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार प्राप्त करने के लिए पधारें -आपका अभिनन्दन ,स्वागत है ज्योतिष सेवा सदन में -}---किन्तु पहले दोस्त बनें और फ़ोन से जानकारी प्राप्त करें समय -7- 30 से 9 -30 तक प्रत्येक रात्रि -फ़ोन नंबर -09897701636 +093588885616 ---अगर आपका चित्र नहीं होगा ,आपकी सही जानकारी प्रोफाइल में नहीं होगी तो आप दोस्त नहीं बन पायेंगें ।
  ---आपका -ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत प्रबंधक पंडित के एल झा शास्त्री फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें =http://jyotishsadan.blogspot.in/2013/08/blog-post_2.html?spref=fb

        

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

"गुरु एवं मंगल" मंगली दोष समाप्त कर राज योग देते है?"

"गुरु एवं मंगल" मंगली दोष समाप्त कर  राज योग देते है?"
--गुरु + मंगल एक साथ हों जन्म कुंडली में तो राजयोग बनता है अधिकांश विद्वान इस बात को मानते हैं । और साथ ही "भौम दोषों न विद्यते "अर्थात मंगली दोष समाप्त हो जाता है ।
      ---अस्तु ----यह बात हमारी समझ में नहीं आती है --क्योंकि फलिताचार्य भली भांति इस बात बात को जानते हैं ,कि द्वितीय भाव {कुंडली का दूसरा घर }के कारक "गुरु "की क्रूर या पापग्रह से युति से दाम्पत्य जीवन अर्थात सुखोपभोग के लिए हितकर नहीं होती है ।
      फलदीपकार लिखते हैं=पुर्यध्यक्षः सजीवे {भोमे }भवति नरपतिः प्राप्तवित्तो द्विजो वा "----अर्थात चन्द्र + मंगल की युति स्थाई संपदा प्रदान करने वाली तो होती है ,किन्तु मंगली दोष को समाप्त करती हो ऐसा आभास नहीं होता है ।    "शशि -मंगल संयोगे यस्य जन्मनि विद्यते । विमुञ्चन्ति न तं लक्ष्मिः लज्जां कुल वधूरिव । । भाव -इस योग में जन्म लेने वाली लज्जायुक्त कुलवधू का लक्ष्मी कभी साथ नहीं छोडती है ।
       अतः कुंडली में मंगली दोष का परिक्षण ठीक से होना चाहिए साथ ही निदान भी अन्यथा सुख दुःख में बदल जाता है । "निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार प्राप्त करने के लिए पधारें -आपका अभिनन्दन ,स्वागत है ज्योतिष सेवा सदन में ----किन्तु पहले दोस्त बनें और फ़ोन से जानकारी प्राप्त करें समय -7- 30 से 9 -30 तक प्रत्येक रात्रि -फ़ोन नंबर -09897701636 +093588885616 ---अगर आपका चित्र नहीं होगा ,आपकी सही जानकारी प्रोफाइल में नहीं होगी तो आप दोस्त नहीं बन पायेंगें ।
आपका -ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत प्रबंधक पंडित के एल झा शास्त्री फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें =http://jyotishsadan.blogspot.in/2013/08/blog-post_2.html?spref=fb

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

हमारे नक्षत्रों के कौन- कौन से हैं "पेड़ "?{ज्योतिष -विशेष }



  • हमारे नक्षत्रों के कौन- कौन से हैं "पेड़ "?{ज्योतिष -विशेष }
         --ग्रहों की शांति हेतु पूजा -पाठ ,यग्य हवं में विशेष प्रजाति के पल्लव {टहनी } पुष्प ,फूल ,फल ,काष्ट{समिधा }की आवश्यकता पड़ती है ,जो कि नवग्रह एवं नक्षत्रों से सम्बंधित पौधे ही दे सकते हैं ।पुराणों के अनुसार जिस नक्षत्र में गृह विद्यमान हो उस समय उस नक्षत्र सम्बन्धी पौधे का यत्नपूर्वक संरक्षण तथा पूजन से ग्रह की शांति होती है तथा जातक को मनोवांछित फल मिलता है ।।.
         -----क्यों न हमलोग --अपनी सुख समृधि के लिए - अपने -अपने नक्षत्रों के अनुसार पेड़ ,बगीचा ,बाटिका लगायें?
{1 }-अश्विनी ------कुचिला {2}-भरणी---------आंवला {3 }-कृतिका ----गूलर {4 }-रोहिणी ---जामुन{5 }-मृगशिरा .{7 }-पुनर्वसु ------बांस---खैर{6}}-आर्द्रा--------शीशम.{8 }-पुष्य --------पीपल{9 }-आश्लेषा ---नागकेसर {10 }-मघा-----बरगद{11 }-पुर्वा फाल्गुनी-----ढ़ाक {12 }-उत्तरी फाल्गुनी ----पाकड़  {13 }-हस्त ---रीठा{14 }-चित्रा------वेळ{15 }-स्वाती ------अर्जुन. {16 }-विशाखा ---कटाई. {17 }-अनुराधा ---मौलश्री.  {18 }-ज्येष्ठा-----चीड़. [19 }-मूल ----साल. {20 }-पूर्वाषाढा---जलवेतस. {21 }-उत्तराषाढा ----कटहल {22 }-अभिजित{ xxx}{23 }-श्रवण ---मदार.{24 }-शतभिषा ---कदम्ब. {25 }-पूर्वा भाद्रपद ----आम.{26 }-उत्तरा भाद्रपद ----नीम. {27 }--रेवती -----महुआ.------नोट --उक्त नक्षत्रों के पौधे हैं जो आप --ग्रह जनित दोषों के निवारणार्थ सरलता से पौधे {रोप }लगा सकते हैं । ग्रह ,नक्षत्रों के पौधों का उल्लेख ,पौराणिक ज्योतिष ,आयुर्वेदिक ,तांत्रिक व् एनी ग्रंथों में मिलता है --इनमें से प्रमुख ग्रन्थ हैं --{१}-नारद पुराण{२}-ज्योतिष ग्रन्थ हैं --नारद संहिता {३}-आयुवेदिक ग्रन्थ --राज निघंट वृहत धू श्रुत नारायणी संहिता {४}-तांत्रिक ग्रन्थ -शारदा तिलक ,मन्त्रमहार्णव ,श्री विद्यार्नव तंत्र आदि {५} अन्य ग्रंथ---आनादाश्रम प्रकाशन ,वनस्पति ---अध्यात्म ,नक्षत्र वृक्ष आदि ।।.

  ---         ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत} ---  निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि 8 से 9.30 कोई भी मित्र बनकर प्राप्त करें = संपर्कसूत्र-9897701636+9358885616
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शनिवार, 14 सितंबर 2013

आप सभी मित्रों का स्नेह और प्रेम का हम आभारी हैं ।

आप सभी मित्रों का स्नेह और प्रेम का हम आभारी हैं ।
बड़े मित्रों को प्रणाम ,छोटे मित्रों को आशीर्वाद तथा समकक्ष मित्रों को धन्यवाद ।
    ज्योतिष सेवा सदन सन 2010 से ज्योतिष सेवा में निरंतर तत्पर रहता हैं । हमें आप सभी देश -विदेशों में रह रहे मित्रों ने जो प्रेम दिया और स्नेह के साथ नेट {फेसबुक }पर जोड़ा, जिसकी वजह से हम अपनी आजीविका भी चला लेते हैं और आप मित्रों के प्रेम के पात्र भी बने रहते हैं । विना धन के आपतक कैसे पहुंचें यही सोच के साथ शुरू की थी निःशुल्क ज्योतिष सेवा सन 2010  में । आज 2013 तक करीब लाखों लोगों से हम मिले और  सेवा देने की कोशिश की साथ ही आप मित्रों ने जो धन दिया वो हमारे परिवार के लिए बहुत है ।
        मै भले ही धन से कमजोर था  किन्तु आप मित्रों का स्नेह ने मुझको आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और हम आगे बढ़ते चले गए । जब हम आपको सेवा देते हैं तो हम भी अपने आपको किसी चैनल से कम नहीं समझते हैं --ये सब आप मित्रों की वजह से हुआ और हो रहा है ।
     आशा है आप सभी मित्र हमारी कमी को न देखकर आपना प्रेम और स्नेह यूँ ही प्रदान करते रहेंगें ।
आपका -ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
   कृष्णपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ -उत्तर प्रदेश -भारत पिन -250002
निःशुल्क ज्योतिष सेवा कोई  भी मित्र बनकर एकबार प्राप्त करें -हेल्प लाइन से -09897701636 +09358885616 1 --दोस्ती करने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri
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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

उम्मीद करता हूँ दोस्ती करने से पहले नियमावली अवश्य पढेंगें -

निःशुल्क ज्योतिष सेवा मिल चुकी है, दुबारा ज्योतिष सेवा चाहते हैं या दोस्ती- ज्योतिष सदन से नहीं हो पा रही है तो केवल 100 रूपये एयरटेल मणि नंबर-9897701636 में रिचार्य कर तत्काल सेवा प्राप्त कर सकते हैं ।
    ध्यान दें -आपकी ज्योतिष सेवा सदन से दोस्ती तब नहीं होती है -जब आपका प्रोफाइल आपको सही साबित नहीं करता है जैसे -आपका चित्र ,आपका सम्पूर्ण विवरण एवं आपकी सोच हमसे नहीं मिलती है ।
    1 -निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार मित्र बनकर ही प्राप्त कर सकते हैं = समय -8 से 9 30 तक{ केवल रात्रि }
    2 -बिना दोस्ती के केवल 100 रूपये में ही ज्योतिष जानकारी किसी को भी मिलेगी={कभी भी दिन में }
     3 -आजीवन ज्योतिष जानकारी 1100 सौ में प्राप्त करते रह सकते हैं = {कभी भी दिन में }
उम्मीद करता हूँ दोस्ती करने से पहले नियमावली अवश्य पढेंगें -
        आपका -ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक पण्डित के ० एल ० झा शास्त्री मेरठ -भारत
        पता -किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ -250002
संपर्क कार्यालय मेरठ- अगर आपकी समझ में कोई बात नहीं आई है तो कार्यालय मेरठ से हेल्प लाइन से जानकारी इस नंबर पर प्राप्त करें -09897701636 +09358885616
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बुधवार, 11 सितंबर 2013

" संतान और संतति आपके अनुसार भी संभव है?"

" संतान और संतति आपके अनुसार भी संभव है?"
संतान और संतति की उत्सुकता सबको होती है -और होनी भी चाहिए -किन्तु हम या तो अनभिज्ञता वश ,या विवेक हीन होने के कारण दो चीजें अनुकूल प्राप्त नहीं कर पाते हैं |-हमारे वेद में सभी कला विद्यमान है ,परन्तु -आधुनीक तकनिकी के आगे या तो हम सात्विक प्रयत्न नहीं करते ,या मजबूरी में मानते हैं - आइये अपने जीवन में संतान एवं संतति से सभी युक्त हों -जानने का प्रयास करते हैं ||-भगवान "मनु "ने -उत्तम संतान एवं पुत्र या पुत्री की कामना रखने वाले लोगों के लिये कुछ प्रयोग बताये हैं जिसे हम जानते नहीं है और जानते हैं तो उस प्रकार से चलते नहीं हैं -जब हमें संतान की कामना हो तो-आप पुत्र चाहते हो तो -पत्ती और पतनी का मिलन यदि सम तिथियों में हो अर्थात -द्वितीया,चतुर्थी ,षष्ठी,अष्टमी ,दशमी ,द्वादशी ,चतुर्दशी तिथियों में तो पुत्र की प्राप्ति होगी || पुत्री की कामना रखने वाले -विषम तिथियों का प्रयोग कर सकते हैं अर्थात -प्रतिपदा ,तृतीया ,पंचमी ,सप्तमी ,नवमी ,त्रयोदशी || एकादशी में मिलन होने पर कलंकित संतान होती है || अमावस्या -में मिलन होने पर भी पुत्री की प्रप्ती होती है | पोर्णिमा तिथि -में भी मिलन होने पर पुत्री की प्राप्ति हो सकती है - ="मनुस्मृति" का -मत है की -एकादशी ,अमावस एवं पूर्णमासी -को मिलन नहीं होना चाहिए ,इन तिथियों में देवता, पितरो की ही आराधना करनी चाहिए ||--भाव -मित्र बन्धुगन-आज हमलोग पुत्र प्राप्ति के लिये कुछ भी करते हैं ,किन्तु हमारा थोडा सा सात्विक विचार [सात्विक प्रयास ] से मनोनुकूल संतान भी मिलेगी और महिला पक्षको आत्म खिन्नता का अहसास भी नहीं कराएगी ||
--कर्मकांड में षोडश संस्कार होते हैं -गर्भाधान संस्कार ,पुंसवन संस्कार और सीमंत संस्कार ये तीनों संस्कार हमें अच्छी संतान देते हैं इन संस्कारों को भूलने के कारण ही हमलोग अपनी संतानों से दुखी होते हैं ---इन संस्कारों से हम अपनी ईच्छानुसार संतान प्राप्त आज भी कर सकते हैं --इन संस्कारों में धन नहीं मन और नियम करने पड़ते हैं ।
       = ध्यान दें --निःशुल्क ज्योतिष जानकारी कोई भी विवाहित व्यक्ति एकबार रात्रि -8 से -9 -30 में फ़ोन से मित्र बनकर प्राप्त कर सकते हैं किन्तु जानकारी प्राप्त करते समय पहले चैट पर राम -राम लिखना होगा ।
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मंगलवार, 10 सितंबर 2013

"काल सर्प दोष के लक्षण और निदान !"

"काल सर्प दोष के लक्षण और निदान !"
"ज्योतिष गणित की कुंडली में जब काल सर्प दोष से युक्त जातक होता है -तो जिन भावों में राहू और केतु विराजमान होते हैं प्रायः पड़ेशानी भी उसी प्रकार की होती है ||
1 -लग्न अर्थात प्रथमभाव,धन अर्थात द्वितीय भाव -में यदि राहू और केतु हो ,एवं काल सर्प दोष भी हो तो -जातक को -मन,धन,पतनी ,एवं स्वास्थ तथा व्यवहार के क्षेत्रों में पड़ेशानी रहती है ||निदान -पितृगायत्री के जाप एवं काल सर्प दोष के समाधान के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
2 -पराक्रम अर्थात तृतीय भाव ,माता अर्थात चतुर्थ भाव -में यदि काल सर्पदोष हो तो -भाई बंधुओं ,माता ,सास,संपत्ति ,वाहन इत्यादि से कष्ट होता है ||-निदान -पितृ गायत्री के साथ -नंदी श्राध ,एवं काल सर्प दोष के निदान के उपरांत ही शांति मिलती है ||
3 -संतान -अर्थात पंचम भाव,भार्या अर्थत सप्तम भाव ,आयू अर्थात अष्टम भाव-में यदि कालसर्प दोष हो-तो शिक्षा में बाधा ,संतान ,उन्नति ,दाम्पत्य सुख ,स्वास्थ की पीड़ा रहती है -निदान -महामृत्यंजय जाप ,के साथ -साथ कालसर्प दोष का उपचार करना चाहिए ,तभी इन सभी बातों से राहत मिलती है ||
4 -रोग अर्थात षष्ठ भाव , भाग्य अर्थात नवम भाव ,द्वादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -शत्रुता ,रोग ,भाग्य ,एवं खर्च तथा प्रगति में सदा बाधा रहती है ||निदान -5 लाख ब्रह्म गायत्री के जाप,नंदी श्राध ,तर्पण ,मार्जन के साथ -साथ कालसर्प दोष का निदान करने से ही शांति मिलती है ||
5  कर्मक्षेत्र -अर्थात -दशम भाव ,आय अर्थात एकादश भाव में यदि काल सर्प दोष हो तो -पिता ,कर्मक्षेत्र ,आमदनी ,के क्षेत्र में दिक्कत होती है निदान -राहू के 72  हजार जाप केतु के 28  हजार जाप तुला दान के साथ -साथ कालसर्प दोष का उपाय करने के उपरांत ही इन बातों से शांति मिलती है ||
-----भाव -मित्र बन्धु -कर्मकांड वैदिक प्रक्रिया के अनकूल कराने से ही निदान होता है परन्तु -आज कल हम लोग तोल मोल का भाव करते हैं-सरल और छोटा उपाय करने के पक्ष में रहते हैं जो हमें सही फल प्रदान नहीं करते हैं,यदि हम सपरिवार मिलकर कोई यग्य करें ,तो भार भी कम और फल भी सम्पूर्ण मिलेगा ||
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सोमवार, 9 सितंबर 2013

"कालसर्पदोष" का अनुभव और निदान "

  "कालसर्पदोष" का अनुभव और निदान "
"ज्योतिष" के दो रूप हैं -गणित एवं फलित | -गणित-अर्थात गणना,फलित अर्थात -फलादेश | आज कोई भी गणना भी कर लेता है और फलित भी कर देता है | वास्तविकता क्या है  = हमें कुंडली का निर्माण और फलादेश के लिये उपाधि प्राप्त करनी पड़ती है ,और उस उपाधि का नाम है -"ज्योतिषाचार्य " यहाँ तक पहुँचने ले लिये हमें ,=प्रथमा,मध्यमा ,उत्तर मध्यमा या उपशास्त्री ,और अंत में "आचर्य" की उपाधि मिलती है| यहाँ तक पहुँचने के लिये हमें कई ग्रंथों के अध्ययन करने पड़ते हैं-जैसे -शिघबोध ,मुहूर्त चिंतामणि ,ताजिक नीलकंठी ,व्रेहतपराशर इत्यादि |
तब हम इस योग्य होते हैं ,कि आपका भविष्य बता सकें | "जन्मकुंडली" में  जब सभी  राहू एवं केतु के मध्य सभी ग्रह विराजमान होते हैं ,तो "कलसर्पदोष" कहते हैं यह दोष कई कारणों से बनते हैं | कभी-कभी "पितृदोष के कारण भी बन जाता है ,परन्तु यह योग तो होता है ,किन्तु समाधान भी कई प्रकार से करने पड़ते हैं | इस योग का सबसे बड़ा जो प्रतिफल है वो है ,मन और काम के क्षेत्रों में जातक को भयभीत करना | इस योग से दिक्कत भी होती है ,किन्तु यदि सही समाधान हो तो जरुरी नहीं कि दिक्कत दूर नहीं हो सकती है | यह विशेष दिक्कत तब देते हैं जब -राहू या केतु की महादशा या अनार्दशा चल रही हो | प्रायः -कुंडली में एक राशि  में यह ग्रह डेड़  साल तक निवास करते हैं | आगे हम इनके उपाय का निदान बतायेंगें |
 ज्योतिष सेवा सदन -{मेरठ- भारत }प्रबंधक पंडित के० एल० झा शास्त्री हेल्प लाइन मेरठ -09897701636 +09358885616 -----किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ --
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रविवार, 8 सितंबर 2013

"काल सर्प दोष को समझें !चिंतित न हों ?"

"काल सर्प दोष को समझें !चिंतित न हों ?"

विधाता की रचित प्रकृति में अदभुत पहेली है ,जिसको समझना इतना आसन नहीं है ,फिर भी संसार में जितने भी जीव हैं उसमे मानव को इतनी समझ तो है ही कि,अपनी राह को सरल तो बना ही सकता है |-आइये जानने की कोशिश करते हैं -कि "कालसर्प" दोष आखिर है क्या और हमारे जीवन में कौन सी उलझनें उत्पन्न करता है ?- जन्म "कुंडली" में द्वादश भाव होते हैं ,और नवग्रह होते हैं -सभी ग्रह [राहू और केतु को छोड़कर ] सामने से भ्रमण करते हैं किन्तु राहू केतु वाम भाग [पीछे ] से भ्रमण करते हैं ,-सभी ग्रहों का चलने की गति होती है-सूर्य -एक मास-रहते हैं 1 -राशि में ,चंद्रमा -ढाई दिन रहता हैं 1--राशि में ,मंगल 2  मास के करीब रहता हैं - 1 -राशि में ,बुध और शुक्र भी डेढ़  मास  के करीब रहते हैं -1 राशि में ,गुरु -1 -वर्ष रहते हैं 1 - राशि में ,राहू और केतु -डेढ़  साल करीब रहते हैं 1 राशि में ,शनि -ढाई साल रहता  हैं -एक राशि में ?-इसका मतलब हुआ कि जब राहू और केतु वाम भाग से चलते हैं और डेढ़  साल रहते हैं एक राशि में तो डेढ  साल तक कुछ राशि वालों के लिये पीड़ा कारक रहेंगें | तो निश्चित है अमुक राशि के जितने भी लोग होंगें तो - क्या सभी काल सर्प योगी और दुखी होंगें -शास्त्रकारों का अनंत मत और अनन्त ग्रन्थ हैं -किन्तु हमारा मानना है -ये दोष से युक्त तो जरुर होंगें जातक ,परन्तु -इन दोषों के  निदान और नाम अलग -अलग होगें ||
[1 ]-जब कालसर्प दोष से युक्त जातक होता है -तो सर्व प्रथम सभी कार्यों में दिक्कत आती है ,मन अनुकूल नहीं होता है ,ये राहू -केतु ,जिन भावों में होंगें तकलीफ भी उसीप्रकार की प्रदान करेंगें ||
[2 ] -यदि पूर्वजों की अकाल म्रित्यु हुई हो तो ये दोष वंशावली हो जाता है-अर्थात उस परिवार के जितने भी सदस्य होंगें सभी इस दोष से युक्त होते जायेंगें ||
[3 ]-कभी -कभी इस दोष से युक्त जातक का स्थान निरंतर परिवर्तनशील होता रहता है ||
---भाव -इस दोष का निदान अनिवार्य होता है परन्तु चिंतनीय नहीं होता है -जब हम विमार होते हैं-तो औषधियों का सेवन करके सही हो जाते हैं -ठीक इसी प्रकार से ये कष्ट का लक्षण होता है ,जिसको उपचार और उपाय से सही किया जा सकता है ||[भाग २ काल प्रसारिक करेंगें ]
ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }
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शनिवार, 7 सितंबर 2013

"ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी ?"

"ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी ?"
1 --प्रत्येक रात्रि समय -8 से 9 . 30 तक निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों के लिए उपलब्ध रहती है । 
 2 -ज्योतिष सेवा फ़ोन से ही मिलती है किन्तु चैट पर राम -राम लिखना अनिवार्य है । 
3 --ज्योतिष सेवा एकबार ही निःशुल्क और सही मित्र बनकर ही प्राप्त कर सकते हैं । 
4 --निःशुल्क ज्योतिष जानकारी प्राप्त कर चुके हैं किन्तु पुनः ज्योतिष जानकारी चाहते हैं तो केवल -200 दो सौ रूपये देकर कभी भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
5- मित्र नहीं बनना चाहते हैं किन्तु ज्योतिष जानकारी चाहते हैं तो -200 दो सौ रुपये देकर प्राप्त कर सकते हैं ।
--6 --ज्योतिष सेवा सदन से आजीवन ज्योतिष जानकारी चाहते हैं -तो केवल -1100 एग्यारह सौ रूपये देकर समयानुसार जानकारी प्राप्त करते रह सकते हैं ।
--7 --निःशुल्क ज्योतिष जानकारी प्राप्त कर चुके मित्रों से हमें मित्रता समाप्त करनी पड़ती है --लेकिन हम ज्योतिष सेवा सदन के पेज ,समूह और ब्लॉग पोस्ट से जोरे रखते हैं ताकि आप सदस्य बने या न बनें ज्योतिष एवं कर्मकांड के लेखों से रूबरू होते हैं ।
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गुरुवार, 5 सितंबर 2013

देश -विदेशों में घटित होने वाली घटनाएँ {सितम्बर -2013}?"

देश -विदेशों में घटित होने वाली घटनाएँ {सितम्बर -2013}?"
--सितम्बर माह तारीख -08 /से 19 /2013 ----तुला राशि में स्थित शुक्र दुःख एवं सुख की प्रतिक्रिया को जन्म देगा ------"यदा दैत्यगुरुश्चैव तुला राशि प्रवर्तते | मेदिन्यां क्षेम मारोग्यम किंचित -किंचित रोधकृत | | 
----भाव ---अन्तर्राष्ट्रीय जगत में वैर -विरोध के साथ -साथ भय व्याप्त होगा । कहीं शांति की कोशिश होने से राहत मिलेगी लोगों को । जनता सुख -शांति का अनुभव करेगी । देश में विदेशी अतिथियों का आना खलेगा । कहीं विजय मिलने से ख़ुशी मिलेगी । राजनीति में उलटफेर हो सकता है । किसी प्रदेश की सरकार दिक्कत का सामना करेगी । बड़े अधिकारी का तबादला से चर्चा में रहेगी सरकार । बड़े घोटाले का खुलासा जानलेवा हो
सकता है । 
----तेजी मंदी विचार ---पदार्थों की कमी से मंहगाई बढ़ेगी । पक्ष के आरम्भ का भाव पलट जायेंगें अंत में ।चालू बाजार का रुख देखकर ही विशेष व्यापार करें । शेयर ,सट्टा ,सर्राफाबाजारमें नरमी रहेगी । 
----आकाश लक्षण-----पक्ष में वर्षा हो सकती है । समुद्री तूफान से भय संभव है ।---08 सितम्बर को होने वाला बुधोदय अन्तरिक्ष में उत्पात मचायेगा । अर्थात कहीं बादल फाड़ वर्षा होगी । यान -खान दुर्घटना घाट सकती है ।  सर्वे भवन्तु सुखिनः "श्री हरि "
भवदीय -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ भारत }निःशुल्क ज्योतिष जानकारी रात्रि 8 से 9 . 30 में एकबार अवश्य मित्र बनकर प्राप्त करें ---सूत्र -09897701636 +09358885616 ------आजीवन सदस्यता शुल्क -1100 देकर आजीवन ज्योतिष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।