"दिल्ली" में प्रभावी नेता की क्षति हो सकती है {ज्योतिष-विशेष-13+14}
-----भारत की राजधानी "दिल्ली" की राशि मीन है । तथा राशि के स्वामी "गुरु "वर्षारम्भ की "कुंडली" के केंद्र में अकेला बैठा है । अर्थात केन्द्रगत बलवान "गुरु "वर्तमान राज्य सरकार को बल प्रदान करेगा ।
----अस्तु -----विरोध के बावजूद भी सरकार चलती रहेगी अर्थात अडिग रहेगी । साथ ही अगले चुनाव में परिवर्तन भी होगा । इस वर्ष सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता असुरक्षा की भावना बढ़ेगी । बिजली ,पानी ,रसोईगैस ,रोजमर्रा की चीजें समयोचित न मिलने से चौतरफा हो हल्ला मचेगा । मंहगाई की मार झेलनी पड़ेगी सरकार को ।
-------वर्षारम्भ "कुंडली "के आठवें भाव में राज्य का कर्ता "सूर्य "पंचग्रही योग में विकल है {पीड़ित है }--जो कि राजतन्त्र में विघटन -भारी फेरबदल करा सकता है । साथ ही प्रभावी नेता का देहावसान राष्ट्र को अखरेगा । आतंकी कुकृत्या ,प्राकृतिक महोत्पात ,भयंकर रोग इत्यादि से राजधानी "दिल्ली "पीड़ित रहेगी । सर्वहारा वर्ग के हित में सरकारी तौर पर कठोर से कठोर उठाये जा सकते हैं । "दिल्ली " में उद्योग धंधे स्थानांतरण करने ,जल विभाग ,टेलीफ़ोन ,चिकित्सा तथा परिवहन व्यवस्था का निजीकरण करने एवं कालोनियों को पक्की न करने को लेकर सरकार के खिलाफ जगह -जगह आन्दोलन हो सकते हैं ।
बढती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार नया कदम उठा सकती है ---आगे सर्वग्य तो प्रभु ही हैं !
------प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री [मेरठ -भारत }
-----भारत की राजधानी "दिल्ली" की राशि मीन है । तथा राशि के स्वामी "गुरु "वर्षारम्भ की "कुंडली" के केंद्र में अकेला बैठा है । अर्थात केन्द्रगत बलवान "गुरु "वर्तमान राज्य सरकार को बल प्रदान करेगा ।
----अस्तु -----विरोध के बावजूद भी सरकार चलती रहेगी अर्थात अडिग रहेगी । साथ ही अगले चुनाव में परिवर्तन भी होगा । इस वर्ष सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता असुरक्षा की भावना बढ़ेगी । बिजली ,पानी ,रसोईगैस ,रोजमर्रा की चीजें समयोचित न मिलने से चौतरफा हो हल्ला मचेगा । मंहगाई की मार झेलनी पड़ेगी सरकार को ।
-------वर्षारम्भ "कुंडली "के आठवें भाव में राज्य का कर्ता "सूर्य "पंचग्रही योग में विकल है {पीड़ित है }--जो कि राजतन्त्र में विघटन -भारी फेरबदल करा सकता है । साथ ही प्रभावी नेता का देहावसान राष्ट्र को अखरेगा । आतंकी कुकृत्या ,प्राकृतिक महोत्पात ,भयंकर रोग इत्यादि से राजधानी "दिल्ली "पीड़ित रहेगी । सर्वहारा वर्ग के हित में सरकारी तौर पर कठोर से कठोर उठाये जा सकते हैं । "दिल्ली " में उद्योग धंधे स्थानांतरण करने ,जल विभाग ,टेलीफ़ोन ,चिकित्सा तथा परिवहन व्यवस्था का निजीकरण करने एवं कालोनियों को पक्की न करने को लेकर सरकार के खिलाफ जगह -जगह आन्दोलन हो सकते हैं ।
बढती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार नया कदम उठा सकती है ---आगे सर्वग्य तो प्रभु ही हैं !
------प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री [मेरठ -भारत }
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